हर-हर महादेव के उदघोषों से गूंजे शिवालय
गाजियाबाद। पूरे महानगर में शिव मंदिरों में सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई दी। शहर के सबसे प्रसिद्ध सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में फाल्गुन की महा शिवरात्रि पर भगवान शिव का जलाभिषेक किया। सुबह से ही श्रद्धालु कतार में लग गए । श्रद्धालओं की लंबी लाइन जस्सीपुरा चौक एमएमजी अस्पताल तक लगी रही। श्रद्धालुओं को भोले शंकर की भक्ति के कारण कोरोना का भय बिल्कुल नही रहा। लाखों श्रद्धालुओं ने बम बम हर हर भोले के जयकारों के साथ श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर जलाभिषेक कर जल चढ़ाया। अपने प्रिये देवाधिदेव महादेव को दूध, बेलपत्र, फूलों व पंचामृत का भोग लगाकर अपनी अपनी मन्नत मांगी। श्री दूधेश्वर मंदिर के श्रीमहन्त नारायण गिरि महाराज एवं मन्दिर विकास समिति के अध्यक्ष धर्म पाल गर्ग ने बुधवार देर रात शिवलिंग पर जल चढ़ाया उसके बाद सभी भक्तों ने जलाभिषेक करना शुरू किया। देर रात से ही लोगों की भारी कतार लगनी शुरू हुई जो दिन निकलते ही भक्तों की कतारें लंबी लंबी होती चली गई, दोपहर करीब जिला अस्पताल से भी आगे तक लाइन लगी रही जिसके लिए व्यवस्था में नागरिक सुरक्षा संगठन के वार्डन ,पुलिस प्रशासन के जवान के साथ साथ मंदिर कमेटी के सदस्य एवं एसपीओ भी तैनात रहे। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा स्वयंसेवकों को लगाया गया एवं भक्तो ने शुभ मुहूर्त में जलाभिषेक किया। पुलिस की निगरानी में मंदिर प्रशासन द्वारा सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में भक्तों ने जलाभिषेक किया एवं कंट्रोल रूम में बैठकर मंदिर परिसर की प्रत्येक गतिविधियों पर नजर रखी गई। इस अवसर पर दूधेश्वर पीठाधीश्वर व जूना अखाड़ा के अंतराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरी जी महाराज ने बताया कि साधना की सिद्धि के लिए तीन सिद्ध रात्रियां विशेष मानी गई है। इनमें शरद पूर्णिमा को मोहरात्रि, दीपावली की कालरात्रि तथा महाशिवरात्रि को सिद्ध रात्रि कहा गया है। आध्यात्मिक पथ पर चलने वालों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व बहुत महत्वपूर्ण है। पारिवारिक परिस्थितियों में जी रहे लोगों तथा महत्वाकांक्षियों के लिए भी यह उत्सव बहुत महत्व रखता है। जो लोग परिवार के बीच गृहस्थ हैं, वे महाशिवरात्रि को शिव के विवाह के उत्सव के रूप में मनाते हैं। सांसारिक महत्वाकांक्षाओं से घिरे लोगों को यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण लगता है क्योंकि शिव ने अपने सभी शत्रुओं पर विजय पा ली थी।